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Tuesday, 26 November 2019

वैदिक सामान्य ज्ञान

वैदिक सामान्य ज्ञान/वैदिक प्रश्नोत्तरी

वैदिक सामान्य ज्ञान, वैदिक प्रश्नोत्तरी



       वैदिक सामान्य ज्ञान

 🌷वैदिक प्रशनोत्तरी🌷

प्र.१ - वेद किसे कहते है ?

उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।

प्र.२ - वेद-ज्ञान किसने दिया ?

उत्तर- वेद ज्ञान, ईश्वर ने दिया।

प्र.३ - ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?

उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।

सृष्टि को बने कितने वर्ष हो गए 👈


प्र.४- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?

उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।

प्र.५ - वेद कितने है ?

उत्तर- चार प्रकार के ।

१ -ऋग्वेद 
२  - यजुर्वेद 
३ - सामवेद
४  - अथर्ववेद

प्र.६ - वेदों के ब्राह्मण ।

वेद ब्राह्मण

१  - ऋग्वेद - ऐतरेय
२  - यजुर्वेद - शतपथ
३  - सामवेद - तांड्य
४  - अथर्ववेद - गोपथ

प्र.७ - वेदों के उपवेद कितने है।

उत्तर - वेदों के चार उप वेद है ।

वेद उपवेद

१ - ऋग्वेद - आयुर्वेद
२ - यजुर्वेद - धनुर्वेद
३  -सामवेद - गंधर्ववेद
४ - अथर्ववेद - अर्थवेद

प्र ८ - वेदों के अंग हैं कितने होते है ।

उत्तर - वेदों के छः अंग होते है ।

१  - शिक्षा
२  - कल्प
३  - निरूक्त
४  - व्याकरण
५  - छंद
६  - ज्योतिष

प्र.९ - वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?

उत्तर- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने चार ऋषियों को दिया ।

ईश्वर कहाँ रहता है ?👈


वेद ऋषि

१ - ऋग्वेद - अग्नि ऋषि 
२  - यजुर्वेद - वायु ऋषि 
३  - सामवेद - आदित्य ऋषि 
४  - अथर्ववेद - अंगिरा ऋषि 

प्र.१० - वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?

उत्तर- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को समाधि की अवस्था में दिया ।

प्र.११ - वेदों में कैसा ज्ञान है ?

उत्तर- वेदों मै सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान है ।

प्र.१२ - वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?

उत्तर- वेदों के चार विषय है।

वेद - विषय

१ - ऋग्वेद - ज्ञान
२ - यजुर्वेद - कर्म
३ - सामवेद - उपासना
४ - अथर्ववेद - विज्ञान

प्र.१३ - किस वेद में क्या है।

ऋग्वेद में।

१ - मंडल - १०
२  - अष्टक - ०८
३  - सूक्त - १०२८
४  - अनुवाक - ८५ 
५  - ऋचाएं - १०५८९

यजुर्वेद में।

१ - अध्याय - ४० 
२- मंत्र - १९७५

सामवेद में।

१ - आरचिक -०६
२  - अध्याय - ०६
३ - ऋचाएं - १८७५

अथर्ववेद में।

१ - कांड - २०
२ - सूक्त - ७३१
३  - मंत्र - ५९७७

प्र.१४ - वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? 

उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।

प्र.१५ - क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?

उत्तर- वेदों में मूर्ति पूजा का विधान बिलकुल भी नहीं।

प्र.१६ - क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?

उत्तर- वेदों मै अवतारवाद का प्रमाण नहीं है।

प्र.१७ - सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

उत्तर- सबसे बड़ा वेद ऋग्वेद है।

प्र.१८ - वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?

उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब ९६ करोड़ ८ लाख ५३ हजार वर्ष पूर्व ।

प्र.१९ - वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों के क्या नाम है ?

उत्तर- 

१ - न्याय दर्शन - गौतम मुनि।
२ - वैशेषिक दर्शन - कणाद मुनि।
३ - योगदर्शन - पतंजलि मुनि।
४ - मीमांसा दर्शन - जैमिनी मुनि।
५ - सांख्य दर्शन - कपिल मुनि।
६ - वेदांत दर्शन - व्यास मुनि।

प्र.२० - शास्त्रों के विषय क्या है ?

उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।

प्र.२१ - प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?

उत्तर- प्रामाणिक उपनिषदे केवल ग्यारह है।

प्र.२२ - उपनिषदों के नाम बतावे ?

उत्तर- 

१ -ईश ( ईशावास्य ) २ - केन ३ -कठ ४ -प्रश्न ५ -मुंडक ६ -मांडू ७ -ऐतरेय ८ -तैत्तिरीय ९ - छांदोग्य 
१०-वृहदारण्यक ११ - श्वेताश्वतर ।

प्र.२३ - उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?

उत्तर- उपनिषदों के विषय वेदों से लिए गए है !

प्र.२४ - चार वर्ण कौन-  कौन से होते हैं।

उत्तर- 

१ - ब्राह्मण
२ - क्षत्रिय
३ - वैश्य
४  शूद्र

२५ - चार आश्रम कौन- कौन से हैं। 

१- ब्रह्मचर्य आश्रम 
२ - गृहस्थ आश्रम 
३ - वानप्रस्थ आश्रम 
४- सन्यास आश्रम 

अग्निहोत्र क्यों किया जाता है?👈


प्र.२६ - चार युग कौन - कौन  से होते है और कितने वर्षों के ।

उत्तर- 

१ - सतयुग - १७, २८००० वर्षों का।
२ - त्रेतायुग- १२,९६००० वर्षों का।
३ - द्वापरयुग- ८, ६४००० वर्षों का।
४ - कलयुग- ४,३२००० वर्षों का ।

कलयुग के ५११९  वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक। ४,26,८८१ वर्षों का भोग शेष बचा है। 

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🌷🍃ओ३म् सादर नमस्ते जी 🌷🍃
🌷🍃आपका दिन शुभ हो 🌷🍃

दिनांक  - - १७ मार्च  २०१९
दिन  - - रविवार 
तिथि  - - एकादशी 
नक्षत्र- - पुष्य 
पक्ष  - - शुक्ल 
माह  - - फाल्गुन 
ऋतु  - - शिशिर 
सूर्य  - - उत्तरायण 
सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,११९
कलयुगाब्द  - - ५११९
विक्रम संवत्  - - २०७५
शक संवत्  - - १९४०
दयानंदाब्द  - - १९६

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💐🙏आज का वेद मंत्र 💐🙏

🌷ओ३म् कवन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समा:।एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे। ( ४०|२ )

💐भावार्थ  :- मनुष्य लोग आलस्य को छोड़कर सबके द्रष्टा न्यायाधीश परमात्मा को, और आचरण करने योग्य उसकी आज्ञा को मानकर शुभ- कर्मों को करते हुए और अशुभ कर्मों को छोड़ते हुए, ब्रह्मचर्य के द्वारा विद्याऔर उत्तम- शिक्षा को प्राप्त करके उपस्य- इन्द्रिय के संयम से वीर्य को बढ़ाकर, अल्पायु में मृत्यु को हटावे, और युक्त आहार-विहार से सौ वर्ष की आयु को प्राप्त करें। जैसे-जैसे मनुष्य श्रेष्ठ कर्मों की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे ही पाप कर्मों से उनकी बुद्धि हटने लगती हैं। जिसका फल यह होता है कि  -- विद्या,आयु और सुशीलता आदि गुणों की वृद्धि होती है। 

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🕉🙏ज्ञान रहित भक्ति अंधविश्वास है 
🕉🙏भक्ति रहित ज्ञान नास्तिकता है 

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🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुदिनम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुप्रभातम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सर्वेभ्यो नमः 

💐🙏💐🙏कृण्वन्तोविश्मार्यम 💐🙏💐🙏जय आर्यावर्त 💐🙏💐🙏जय भारत

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