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हिन्दू कौन |
हिन्दू कौन या हिन्दू किसको कहें.....?आज आप हिन्दू शब्द की व्याख्या करना चाहे तो यह असम्भव नहीं पर कठिन तो अवश्य है। आज किसी एक बात को सभी हिंदुओं पर घटा नहीं सकते।
हिन्दू समाज की कोई मान्यता, कोई सिद्धांत,कोई भगवान और कोई भी धर्म ग्रंथ ऐसा नहीं , जो सभी हिन्दुओं पर घटता हो या सभी को स्वीकार्य हो।
हिंदू समाज की मान्यताएं परस्पर इतने विरोधी हैं कि उनको एक स्वीकार करना संभव नहीं है।
हिन्दू किस-किस प्रकार के होते हैं आप नीचे देखिए...
1. ईश्वर को एक और निराकार मानने वाला भी हिन्दू, अनेक ईश्वर और साकार मानने वाला भी हिन्दू और ईश्वर को न मानने वाला भी हिन्दू।
2. विशुद्ध शाकाहारी भी हिन्दू, घोर मांसाहारी भी हिन्दू, पूजा, धार्मिक पर्वों व सोम,मंगल को मांस न खाने वाले भी हिन्दू और काली पर बकरे, भैंसें और मुर्गे की बलि देकर भगवान को प्रसन्न करने वाले भी हिन्दू।
3. केवल शरीर का अस्तित्व मानने वाले भी हिन्दू, जीव को ईश्वर का अंश मानने वाले भी हिन्दू और जीव तथा ईश्वर को अलग अलग मानने वाले भी हिन्दू।
4. बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा और शराब आदि अभक्ष्य पदार्थों का सेवन करने वाले भी हिन्दू और इनसे दूर रहने वाले भी हिन्दू।
5. सभ्य सुसंस्कृत भाषा बोलने वाले भी हिन्दू और असभ्य अश्लील भाषा को बोलने वाले भी हिन्दू।
6. विधवा के नाम पर, दहेज के नाम पर और शिक्षा के नाम पर नारी का तिरस्कार करने वाले भी हिन्दू और नारी की पूजा (यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता) करने वाले भी हिन्दू।
ऐसी स्थिति में आप हिन्दू को कैसे परिभाषित करेंगे?
मात्र यह कहने से कि आपस में मत लड़ो, वक्त की मांग है, सब एक हो जाओ नहीं तो मिट जाओगे, विधर्मियों का भय दिखाकर... क्या हिन्दू एक हो सकता हैं ?
और सदैव एक रह सकता है ?नहीं, बिल्कुल नहीं। कोई न कोई आधार तो होना ही चाहिए जिस पर सब एकमत हो सके।
तो फिर हिन्दू एक कैसे हो सकते हैं ?
केवल वैदिक मत ही है जो सबको एक कर सकता है।वेद ईश्वरीय ग्रन्थ है जो परमपिता परमात्मा द्वारा सृष्टि के प्रारंभ में मानवमात्र के कल्याण के लिए प्रकट किये गए हैं और समस्त ज्ञान विज्ञान का स्रोत है।
इनको ही अपना धर्म ग्रंथ मानकर सब एक हो सकते हैं। यह वही धर्म है जिसे ब्रह्मा से लेकर महर्षि मनु, गौतम, कणाद ,कपिल,जैमिनी,व्यास,पतंजलि शंकराचार्य, महर्षि चाणक्य और महर्षि दयानंद ने अपनाया और प्रचारित किया।
जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और योगीराज श्री कृष्ण ने अपने जीवन में अपनाया। उसी वैदिक धर्म को पुनः सभी को अपनाकर एकता का सूत्रपात करना होगा।
इनको ही अपना धर्म ग्रंथ मानकर सब एक हो सकते हैं। यह वही धर्म है जिसे ब्रह्मा से लेकर महर्षि मनु, गौतम, कणाद ,कपिल,जैमिनी,व्यास,पतंजलि शंकराचार्य, महर्षि चाणक्य और महर्षि दयानंद ने अपनाया और प्रचारित किया।
जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और योगीराज श्री कृष्ण ने अपने जीवन में अपनाया। उसी वैदिक धर्म को पुनः सभी को अपनाकर एकता का सूत्रपात करना होगा।
पशुबलि,पाषाण पूजा, मूर्तिपूजा, कब्र पूजा , तीर्थ यात्रा, गंगा स्नान से मुक्ति और मांस भक्षण आदि पाखण्ड को छोड़ यज्ञ एवं योग को जीवन का अंग बनाकर सबको एक किया जा सकता है।
वे सभी लोग जो इस आर्यावर्त (भारत) भूमि को अपनी मातृभूमि, पितृभूमि और पुण्यभूमि मानते हैं। जो श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे पूजनीय महापुरुषों को अपना पूर्वज मानते हैं।
जो स्वयं को ऋषियों की संतान मानते हैं - वे सभी लोग ऋषियों और महर्षियों के दिखाए सत्य सनातन वैदिक धर्म को अपनायें जो सत्य,तर्क एवं विज्ञान पर आधारित है।
अब आप समझ गये होंगे कि हिन्दू कौन या किसको कहें? का क्या मतलब है।और विचार करें कि हमें
पाखंड को अपनाना है या वेद के रास्ते पर चलना है।
केवल यही एकता का सूत्र है।
आप धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा।
वे सभी लोग जो इस आर्यावर्त (भारत) भूमि को अपनी मातृभूमि, पितृभूमि और पुण्यभूमि मानते हैं। जो श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे पूजनीय महापुरुषों को अपना पूर्वज मानते हैं।
जो स्वयं को ऋषियों की संतान मानते हैं - वे सभी लोग ऋषियों और महर्षियों के दिखाए सत्य सनातन वैदिक धर्म को अपनायें जो सत्य,तर्क एवं विज्ञान पर आधारित है।
अब आप समझ गये होंगे कि हिन्दू कौन या किसको कहें? का क्या मतलब है।और विचार करें कि हमें
पाखंड को अपनाना है या वेद के रास्ते पर चलना है।
केवल यही एकता का सूत्र है।
आप धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा।
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