ओ३म्
आज हमें प्रातः वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून जाने का अवसर मिला। पहले हम आश्रम की गोशाला में गये। आश्रम की गोशाला मुख्य आश्रम से 1.5 किमी0 की दूरी पर पहाड़ियों पर स्थिति है।
यह स्थान वन से आच्छादित है। यहां से 1.5 किमी0 और आगे जाने पर पहाडियों के शिखर पर आश्रम की दूसरी इकाई है जो एक वृहद परिसर में संचालित है।
स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी यहां रहकर साधना करते हैं और समय-समय पर चतुर्वेद पारायण यज्ञ एवं साधना शिविरों का आयोजन करते रहते हैं।
आश्रम के ग्रीष्मोत्सव एवं शरदुत्सव के अवसर पर समापन समारोह से एक दिन पूर्व कायज्ञ एवं सत्संग भी आश्रम की इस इकाई में किया जाता है।
गोशाला के बाद हम आश्रम आये और वहां कार्यालय एवं यज्ञशाला में पहुंचे। यज्ञ समाप्त हो चुका था। आश्रम में एक साधन श्री ज्ञान चन्द जी निवास करते हैं।
वह आश्रम परिसर में बाहर खड़े हुए हमें मिले। उनसे वार्तालाप किया। वह जब भी मिलते हैं तब प्रश्न करते हैं कि आप वहीं पर खडत्रे हैं या कुछ आगे बढ़े हैं? आज भी उन्होंने यही प्रश्न किया।
इसके बाद हमने आश्रम के कार्यालय व सभागार, नई यज्ञशाला एवं बाहर परिसर के कुछ चित्र लिये और घर लौट आये।
आज हमारी आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी से फोन पर वार्ता हुई। हमारे पूछने पर उन्होंने बताया कि आश्रम का आगामी शरदुत्सव अक्टूबर माह में 22 से 26 अक्टूबर 2019 तक आयोजित होगा।
हमारी कुछ देर पहले आगरा के आर्य विद्वान श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी से बात हुई। वह प्रत्येक उत्सव में यहां आते हैं और प्रभावशाली वचनों से श्रोताओं व साधकों को सन्तुष्ट करते हैं।
उन्होंने बताया कि 27 अक्टूबर, 2019 को ऋषि निर्वाण दिवस एवं दीपावली का पर्व है। इस कारण उत्सव में आने वाले बन्धुओं को असुविधा हो सकती है। इस विषय में हम कल श्री शर्मा जी चर्चा करेंगे।
हमने पहले सूचित कर चुके हैं कि आश्रम ‘‘तपोवन विद्या निकेतन” के नाम से एक जूनियर हाई-स्कूल विद्यालय का संचालन करती है।
इस स्कूल का परीक्षा परिणाम तो अच्छा होता ही है, इसके साथ ही बच्चे आर्यसमाज के नियमों व इतिहास से भी परिचित कराये जाते हैं।
बच्चों को सन्ध्या व यज्ञ करना भी सिखाया जाता है और धर्म शिक्षा का भी अध्ययन कराया जाता है। बच्चे ग्रीष्मोत्सव में अपना वार्षिकोत्सव मनाते हैं।
उत्सव में बच्चों की प्रस्तुतियां देखकर सभी आगन्तुक ऋषिभक्त विद्यालय के बच्चों व उनकी अध्यापिकाओं की प्रशंसा करते हैं और विद्यालय की शिक्षा व उसकी उपलब्ध्यिं को जानकर सन्तुष्ट होते हैं।
आश्रम एक चिकित्सालय का संचालन भी करती है। चिकित्सालय का नया भवन अतीव सुन्दर बना है। कार्यालय एवं सभागार भी नये बने हैं।
इन नये भवनों का श्रेय दानी महानुभावों सहित मुख्य रूप से आश्रम के प्रधान श्री दर्शन अग्निहोत्री, मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा एवं आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी को है।
स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी और आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी की आश्रम में उपस्थिति आश्रम को गौरवान्वित करती है।
आश्रम से एक मासिक पत्रिका ‘‘पवमान” का प्रकाशन भी होता है। डॉ0 कृष्णकान्त वैदिक पत्रिका के मुख्य सम्पादक है।
पत्रिका के प्रकाशन में मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी प्रेस आदि का कार्य देखते व सम्पन्न कराते हैं। पत्रिका निर्धारित तिथि को प्रकाशित होती है। इसका वार्षिक मूल्य दो सौ रूपया है।
आश्रम की गतिविधियों, उत्सवों के विज्ञापन व समाचार आदि भी पत्रिका में स्थान पाते हैं। हमने अनुभव किया है कि समय के साथ आर्यों में दान की प्रवृत्ति में न्यूनता आ रही है।
इससे आश्रम के संचालन में कठिनाईयां आती हैं। आश्रम प्रेमियों को आश्रम में आते जाते रहना चाहिये और व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ इसकी आर्थिक स्थिति को सुदृण करने के उपाय भी सुझाने चाहिये
जिससे लोगों में संस्था के विश्वास में वृद्धि हो और देश की आर्य जनता आश्रम में उपलब्ध साधनों का अधिक से अधिक लाभ ले सके।
-मनमोहन कुमार आर्य
“वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून विषयक समाचार”
=============आज हमें प्रातः वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून जाने का अवसर मिला। पहले हम आश्रम की गोशाला में गये। आश्रम की गोशाला मुख्य आश्रम से 1.5 किमी0 की दूरी पर पहाड़ियों पर स्थिति है।
यह स्थान वन से आच्छादित है। यहां से 1.5 किमी0 और आगे जाने पर पहाडियों के शिखर पर आश्रम की दूसरी इकाई है जो एक वृहद परिसर में संचालित है।
स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी यहां रहकर साधना करते हैं और समय-समय पर चतुर्वेद पारायण यज्ञ एवं साधना शिविरों का आयोजन करते रहते हैं।
आश्रम के ग्रीष्मोत्सव एवं शरदुत्सव के अवसर पर समापन समारोह से एक दिन पूर्व कायज्ञ एवं सत्संग भी आश्रम की इस इकाई में किया जाता है।
गोशाला के बाद हम आश्रम आये और वहां कार्यालय एवं यज्ञशाला में पहुंचे। यज्ञ समाप्त हो चुका था। आश्रम में एक साधन श्री ज्ञान चन्द जी निवास करते हैं।
वह आश्रम परिसर में बाहर खड़े हुए हमें मिले। उनसे वार्तालाप किया। वह जब भी मिलते हैं तब प्रश्न करते हैं कि आप वहीं पर खडत्रे हैं या कुछ आगे बढ़े हैं? आज भी उन्होंने यही प्रश्न किया।
इसके बाद हमने आश्रम के कार्यालय व सभागार, नई यज्ञशाला एवं बाहर परिसर के कुछ चित्र लिये और घर लौट आये।
आज हमारी आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी से फोन पर वार्ता हुई। हमारे पूछने पर उन्होंने बताया कि आश्रम का आगामी शरदुत्सव अक्टूबर माह में 22 से 26 अक्टूबर 2019 तक आयोजित होगा।
हमारी कुछ देर पहले आगरा के आर्य विद्वान श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी से बात हुई। वह प्रत्येक उत्सव में यहां आते हैं और प्रभावशाली वचनों से श्रोताओं व साधकों को सन्तुष्ट करते हैं।
उन्होंने बताया कि 27 अक्टूबर, 2019 को ऋषि निर्वाण दिवस एवं दीपावली का पर्व है। इस कारण उत्सव में आने वाले बन्धुओं को असुविधा हो सकती है। इस विषय में हम कल श्री शर्मा जी चर्चा करेंगे।
हमने पहले सूचित कर चुके हैं कि आश्रम ‘‘तपोवन विद्या निकेतन” के नाम से एक जूनियर हाई-स्कूल विद्यालय का संचालन करती है।
इस स्कूल का परीक्षा परिणाम तो अच्छा होता ही है, इसके साथ ही बच्चे आर्यसमाज के नियमों व इतिहास से भी परिचित कराये जाते हैं।
बच्चों को सन्ध्या व यज्ञ करना भी सिखाया जाता है और धर्म शिक्षा का भी अध्ययन कराया जाता है। बच्चे ग्रीष्मोत्सव में अपना वार्षिकोत्सव मनाते हैं।
उत्सव में बच्चों की प्रस्तुतियां देखकर सभी आगन्तुक ऋषिभक्त विद्यालय के बच्चों व उनकी अध्यापिकाओं की प्रशंसा करते हैं और विद्यालय की शिक्षा व उसकी उपलब्ध्यिं को जानकर सन्तुष्ट होते हैं।
आश्रम एक चिकित्सालय का संचालन भी करती है। चिकित्सालय का नया भवन अतीव सुन्दर बना है। कार्यालय एवं सभागार भी नये बने हैं।
इन नये भवनों का श्रेय दानी महानुभावों सहित मुख्य रूप से आश्रम के प्रधान श्री दर्शन अग्निहोत्री, मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा एवं आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी को है।
स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी और आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी की आश्रम में उपस्थिति आश्रम को गौरवान्वित करती है।
आश्रम से एक मासिक पत्रिका ‘‘पवमान” का प्रकाशन भी होता है। डॉ0 कृष्णकान्त वैदिक पत्रिका के मुख्य सम्पादक है।
पत्रिका के प्रकाशन में मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी प्रेस आदि का कार्य देखते व सम्पन्न कराते हैं। पत्रिका निर्धारित तिथि को प्रकाशित होती है। इसका वार्षिक मूल्य दो सौ रूपया है।
आश्रम की गतिविधियों, उत्सवों के विज्ञापन व समाचार आदि भी पत्रिका में स्थान पाते हैं। हमने अनुभव किया है कि समय के साथ आर्यों में दान की प्रवृत्ति में न्यूनता आ रही है।
इससे आश्रम के संचालन में कठिनाईयां आती हैं। आश्रम प्रेमियों को आश्रम में आते जाते रहना चाहिये और व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ इसकी आर्थिक स्थिति को सुदृण करने के उपाय भी सुझाने चाहिये
जिससे लोगों में संस्था के विश्वास में वृद्धि हो और देश की आर्य जनता आश्रम में उपलब्ध साधनों का अधिक से अधिक लाभ ले सके।
-मनमोहन कुमार आर्य
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